दिमाग़ में नहीं, पैरों से शुरू हो सकता है डिमेंशिया – विशेषज्ञ न्यूरोसर्जन की चौंकाने वाली व्याख्या

Ziddibharat@619
6 Min Read
Not in your brain, top neurosurgeon explains how dementia can start ‘in your legs’

डिमेंशिया (Dementia) एक सामान्य और विकलांग करने वाली बीमारी है जो मस्तिष्क को प्रभावित करती है। यह आज दुनिया की सबसे गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। यह तब होती है जब मस्तिष्क की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त या नष्ट हो जाती हैं, जिससे व्यक्ति की सोचने, याद रखने, मूड, व्यवहार और व्यक्तित्व में धीरे-धीरे गिरावट आने लगती है।

दुनिया भर में इस समय 55 मिलियन से अधिक लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं, और हर साल लगभग 1 करोड़ नए मामले सामने आते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, साल 2050 तक यह संख्या तीन गुना तक बढ़ सकती है।

जब हम डिमेंशिया के बारे में सोचते हैं, तो आमतौर पर याददाश्त की कमी, भ्रम या मूड में बदलाव की कल्पना करते हैं — जो एक परेशान मस्तिष्क के संकेत हैं। लेकिन क्या हो अगर इसके शुरुआती लक्षण दिमाग़ में नहीं, बल्कि शरीर के किसी और हिस्से में दिखाई दें? क्या हो अगर आप लंबे समय से इन संकेतों को नज़रअंदाज़ कर रहे हों?

क्या है डिजिटल डिमेंशिया और इसे कैसे रोका जा सकता है

यदि ऐसा है, तो हो सकता है आप डिमेंशिया के शुरुआती संकेतों को अनदेखा कर रहे हों — जिन्हें यदि समय रहते पहचान लिया जाए, तो आगे चलकर जीवन की गुणवत्ता बेहतर की जा सकती है।
क्योंकि अभी तक डिमेंशिया का कोई निश्चित इलाज नहीं है, इसलिए शुरुआती लक्षणों को पहचानना और समय पर चिकित्सकीय हस्तक्षेप करना बेहद ज़रूरी है।

दिमाग़ और पैरों के स्वास्थ्य का गहरा संबंध

प्रसिद्ध न्यूरोसर्जन डॉ. अरुण एल. नाइक के अनुसार, हमारे चलने के तरीके, चाल की गति और पैरों की ताकत में आने वाले हल्के बदलाव भविष्य में मस्तिष्क की समस्याओं का संकेत हो सकते हैं।

डॉ. नाइक बताते हैं कि जब पैरों की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं या चलने की गति धीमी पड़ती है, तो यह शरीर और मस्तिष्क के बीच संचार और रक्त प्रवाह में गिरावट का संकेत होता है — जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य से सीधा जुड़ा है।
वे कहते हैं कि उम्रदराज लोगों में धीमी चाल अक्सर मस्तिष्क के आकार में कमी और संज्ञानात्मक गिरावट से जुड़ी होती है।
यानी पैरों की ताकत और गतिशीलता मस्तिष्क के स्वास्थ्य का प्रतिबिंब हो सकती है।

Dementia (30)

आखिर ऐसा क्यों होता है?

डॉ. नाइक की टीम के अनुसार, चलना एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें मस्तिष्क के कई हिस्से शामिल होते हैं —

  • Frontal Lobe: चलने की योजना बनाने में मदद करता है

  • Cerebellum: संतुलन बनाए रखता है

  • Spinal Cord: सिग्नल ट्रांसमिशन करता है

जब हम चलना या सक्रिय रहना कम कर देते हैं — जैसे निष्क्रिय जीवनशैली, बढ़ती उम्र या बीमारी के कारण — तो इसका असर मस्तिष्क पर भी पड़ता है।
इससे रक्त प्रवाह कम होता है, न्यूरॉन्स को आवश्यक पोषण नहीं मिलता, और धीरे-धीरे मस्तिष्क के सिकुड़ने के लक्षण दिख सकते हैं।

जब पैरों की मांसपेशियाँ सिकुड़ती हैं और उनका संकुचन घटता है, तो ऑक्सीजन और पोषक तत्वों से भरपूर रक्त मस्तिष्क तक सही तरह नहीं पहुँच पाता।
नतीजा — मस्तिष्क की सक्रियता घट जाती है और शरीर में जमा अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन भी प्रभावित होता है।

कमज़ोर पैर कैसे तेज़ करते हैं मानसिक गिरावट

उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों का क्षय (Sarcopenia) होना सामान्य है।
डॉ. नाइक के अनुसार, पैरों की कमजोरी एक शृंखलाबद्ध प्रक्रिया शुरू कर देती है —
कम चलना → रक्त संचार में कमी → मस्तिष्क की उत्तेजना में कमी → मस्तिष्क के हिस्सों में सिकुड़न।

चलना BDNF (Brain-Derived Neurotrophic Factor) और अन्य विकास संकेतों को सक्रिय करता है, जो न्यूरॉन्स को स्वस्थ रखते हैं। जब चलना घट जाता है, तो ये संकेत भी कम हो जाते हैं।

अक्सर लोग चलने में बदलाव — जैसे छोटे कदम, लड़खड़ाहट या धीमी चाल — को सामान्य मान लेते हैं, लेकिन ये डिमेंशिया के शुरुआती संकेत हो सकते हैं।
एक 2022 के अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों की चाल धीमी थी, उनके मस्तिष्क का आकार छोटा था और उनमें मानसिक गिरावट का खतरा अधिक था।

Dementia (29)

पैरों से जुड़े 4 चेतावनी संकेत जिन्हें नज़रअंदाज़ न करें

  1. चलने की गति कम होना: पहले की तुलना में चाल धीमी पड़ जाना।

  2. पैरों की कमजोरी: सीढ़ियाँ चढ़ने, कुर्सी से उठने या चलने में कठिनाई।

  3. चाल में असंतुलन: लड़खड़ाना, असमान कदम या झिझक महसूस होना।

  4. ड्यूल-टास्क में दिक्कत: चलते समय बात करने या गिनती करने में परेशानी।

इन संकेतों को पहचानना डिमेंशिया से बचाव की दिशा में शुरुआती कदम हो सकता है।

Elderly exercises (1)

कैसे रखें दिमाग़ और पैरों दोनों का ख्याल

  • चाल और पैर की ताकत पर ध्यान दें: अगर खुद या किसी बुज़ुर्ग की चाल धीमी हो रही है, तो तुरंत ध्यान दें।

  • हरकत को दवा बनाएं: रोजाना चलना, सीढ़ियाँ चढ़ना और पैर मजबूत करने वाली एक्सरसाइज़ करें।

  • जीवनभर सक्रिय रहें: मध्य आयु से ही शारीरिक गतिविधि को दिनचर्या में शामिल करें।

  • पैरों की शक्ति बढ़ाएं: स्क्वाट्स, लेग प्रेस या रेसिस्टेंस बैंड एक्सरसाइज़ करें।

  • संतुलन और समन्वय सुधारें: सिंगल लेग स्टैंड या बैलेंस ड्रिल्स करें।

  • समग्र मस्तिष्क स्वास्थ्य पर ध्यान दें: नींद, आहार, याददाश्त, सामाजिक जुड़ाव और मानसिक सक्रियता पर समान ध्यान दें।

  • चलते हुए सोचें: चलते समय बातचीत या गिनती करें ताकि दिमाग़ और शरीर दोनों सक्रिय रहें।

  • डॉक्टर से सलाह लें: अगर बिना किसी कारण चाल या ताकत में गिरावट हो रही है, तो चिकित्सक से संपर्क करें।

Share This Article
कोई टिप्पणी नहीं

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *