भोपाल के हमीदिया अस्पताल के बिस्तर पर लेटे आठ साल के अलजैन खान ने कहा, “मैंने यूट्यूब पर एक वीडियो देखा और अपने अब्बा से मेरे लिए वह गन लाने का आग्रह किया।” अलजैन उन कई बच्चों में शामिल है जिन्हें कार्बाइड गन से आँख में गंभीर चोट लगने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह विस्फोटक और जहरीले तत्वों से बना उपकरण दिवाली के दौरान मध्यप्रदेश में एक खतरनाक चलन बन गया।
राज्य भर में कार्बाइड गन से हुई व्यापक नेत्र क्षति और चोटों के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई। साइबरस्पेस की गहराई से पता चला कि कैसे सोशल मीडिया वीडियो ने दिवाली पर इन “गनों” के क्रेज को हवा दी, जिससे युवा न केवल उन्हें खरीदने, बल्कि ऑनलाइन उपलब्ध DIY (खुद बनाएं) गाइड की मदद से उन्हें घर पर भी बनाने लगे।
कई घायल बच्चों और उनके परिवारों ने खुलासा किया कि उन्होंने यह क्रेज कैसे अपनाया। यह सामने आया कि सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रचारित और लोकप्रिय हुए ‘कार्बाइड गन चैलेंज’ ने दिवाली मनाने वालों, खासकर किशोरों की कल्पना पर कब्जा कर लिया, जो इस चलन को उत्सव की रात रोमांच के एक स्रोत के रूप में मानने लगे।
अलजैन ने बताया, “जब मैंने 20 अक्टूबर को इसे चलाया, तो यह नहीं चली। जैसे ही मैं देखने के लिए बैरल के ऊपर झुका, यह फट गई। मेरी दोनों आँखों में चोटें आईं।” ट्रैवल एजेंसी में काम करने वाले उसके पिता ने कहा कि उन्हें बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि यह ‘खिलौना’ इतना खतरनाक हो सकता है।
भोपाल में कक्षा सात के छात्र करण पंथी ने भी ऐसी ही एक घटना याद की। उसने कहा, “मैंने इंस्टाग्राम पर कार्बाइड गन की रील्स देखीं और इसे खरीद लिया। जब यह नहीं चली, तो मैंने बैरल के अंदर झाँका और यह चल गई।” उसकी एक आँख में गंभीर चोट आई है और वह अभी भी हमीदिया अस्पताल में भर्ती है।
सीहोर जिले के 24 वर्षीय विकास मेवाड़ा (एक मेडिकल प्रतिनिधि) ने बताया कि वह भी सोशल मीडिया वीडियो से आकर्षित हुआ था। विकास की सर्जरी हुई है और अब उसकी दृष्टि धुंधली हो गई है।
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