नई दिल्ली: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मंगलवार देर शाम बताया कि चक्रवात ‘मोंथा’ का लैंडफॉल (तट से टकराने की प्रक्रिया) आंध्र तट के पास शुरू हो गया है और यह प्रक्रिया अगले तीन से चार घंटे तक जारी रहेगी। चक्रवात के रात करीब 11:30 बजे तट पार करने की संभावना है। एहतियातन प्रभावित इलाकों में रातभर वाहनों की आवाजाही पर रोक (कर्फ्यू) लगा दी गई है।
IMD ने कहा, “ताज़ा आंकड़ों से पता चलता है कि लैंडफॉल की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और यह अगले तीन से चार घंटे तक चलेगी।”
🌊 आंध्र प्रदेश में चक्रवात मोंथा का असर
चक्रवात आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्र — मछलीपट्टनम और कलींगपट्टनम के बीच, काकीनाडा के पास — तट से टकरा रहा है। यह एक गंभीर चक्रवाती तूफान (Severe Cyclonic Storm) के रूप में 90–100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलाएगा, जिनकी गति कुछ समय में 110 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती है।
🚫 आंध्र में रात का कर्फ्यू
राज्य सरकार ने 8:30 बजे रात से बुधवार सुबह 6 बजे तक चक्रवात-प्रभावित जिलों में वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी है।
कृष्णा, एलुरु, पूर्वी गोदावरी, पश्चिमी गोदावरी, काकीनाडा और डॉक्टर बी.आर. अंबेडकर कोनसीमा जिले समेत अल्लूरी सीताराम राजू जिले के चिंतूर और रामपचोदारम राजस्व मंडलों में सबसे अधिक असर पड़ने की संभावना है।
✈️ उड़ानें रद्द, अलर्ट पर प्रशासन
तेलंगाना के शमशाबाद और आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा, विशाखापट्टनम और राजमुंदरी हवाईअड्डों के बीच 35 से ज़्यादा उड़ानें रद्द की गई हैं। इनमें 30 इंडिगो, 2 एयर इंडिया, और 5 एयर इंडिया एक्सप्रेस की उड़ानें शामिल हैं।
काकीनाडा और उप्पाडा के बीच बीच रोड के 8 किलोमीटर हिस्से को नुकसान पहुंचने के बाद बंद कर दिया गया है ताकि किसी भी हादसे से बचा जा सके।
उधर ओडिशा में 50 आंध्र के मछली नौकाओं को गोपालपुर बंदरगाह पर रोक दिया गया है क्योंकि समुद्र में हालात बेहद खराब हैं।
🏠 राहत केंद्र और तैयारियां
आंध्र प्रदेश सरकार ने 800 से अधिक राहत केंद्र बनाए हैं और गर्भवती महिलाओं को पहले ही अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया है।
NDRF और SDRF टीमें काकीनाडा जिले में तैनात की गई हैं।
लगातार बिजली बनाए रखने के लिए 1000 बिजलीकर्मी और 140 तैराक (नावों के साथ) तैयार रखे गए हैं।
ओडिशा में भी 2000 से अधिक राहत केंद्र आठ जिलों में स्थापित किए गए हैं, जहां अब तक 11,396 लोग शरण ले चुके हैं, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने बताया।
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