झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम ज़िले के चाईबासा से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। यहाँ के सरकारी अस्पताल – चाईबासा सदर हॉस्पिटल में थैलेसीमिया से पीड़ित पाँच बच्चों को खून चढ़ाने के बाद HIV संक्रमण हो गया। ये बच्चे लंबे समय से अस्पताल में नियमित रूप से ब्लड ट्रांसफ्यूज़न करा रहे थे, लेकिन इस बार उन्हें मिला खून उनकी ज़िंदगी के लिए अभिशाप बन गया।
दूषित खून बना मौत का सौदा
जांच में सामने आया है कि बच्चों को जो खून चढ़ाया गया था, वह दूषित (contaminated) था। अस्पताल के ब्लड बैंक में खून की जांच और स्टोरेज की प्रक्रिया में गंभीर लापरवाही बरती गई। बताया जा रहा है कि खून की गुणवत्ता जांच के मानक पूरे नहीं किए गए, जिसके चलते HIV संक्रमण फैल गया।
जनता में आक्रोश, सरकार हरकत में
जब यह खबर सामने आई, तो इलाके में जनता का गुस्सा फूट पड़ा। सोशल मीडिया पर लोगों ने स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
मामले की गंभीरता को देखते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तुरंत उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दिए। साथ ही कई वरिष्ठ अधिकारियों, जिनमें पश्चिमी सिंहभूम के सिविल सर्जन भी शामिल हैं, को निलंबित कर दिया गया है।
मुआवज़ा और इलाज की जिम्मेदारी राज्य सरकार की
राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों के लिए ₹2 लाख मुआवज़ा प्रति परिवार देने की घोषणा की है। साथ ही सभी बच्चों का पूरा इलाज सरकार के खर्चे पर कराने का आदेश दिया गया है।
स्वास्थ्य विभाग ने माना — बड़ी चूक हुई
स्वास्थ्य सेवा निदेशक ने यह स्वीकार किया है कि ब्लड बैंक में सिस्टम फेल हुआ — खून की जांच में लापरवाही, असुरक्षित स्टोरेज, और वितरण व्यवस्था में बड़ी खामियाँ थीं।
इस पूरे मामले ने राज्य के स्वास्थ्य तंत्र की पोल खोल दी है।
जांच जारी, ब्लड बैंक पर लगी रोक
फिलहाल ब्लड बैंक की सेवाएँ केवल आपातकालीन मामलों तक सीमित कर दी गई हैं। जांच टीम अस्पताल के हर स्तर पर दस्तावेज़ और प्रक्रियाओं की समीक्षा कर रही है।
सवाल वही — आखिर कब सुधरेगी व्यवस्था?
यह घटना सिर्फ चाईबासा की नहीं, बल्कि पूरे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक करारा तमाचा है।
थैलेसीमिया जैसे रोग से जूझ रहे बच्चे हर महीने जिंदगी के लिए खून पर निर्भर होते हैं — और अगर वही खून ज़हर बन जाए, तो ज़िम्मेदार कौन होगा?
