“भारत से दूरी भारी पड़ेगी” — ट्रंप नीतियों पर अमेरिका के पूर्व वाणिज्य सचिव की कड़ी चेतावनी

Ziddibharat@619
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“हम भारत के साथ बड़ी गलती कर रहे हैं” — अमेरिका की पूर्व वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो ने ट्रंप प्रशासन को चेताया, कहा ‘अकेला अमेरिका कमजोर है’

अमेरिका की पूर्व वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो (Gina Raimondo) ने चेतावनी दी है कि वॉशिंगटन भारत के साथ अपने संबंधों को लेकर एक “बड़ी गलती” कर रहा है। उनका कहना है कि मौजूदा प्रशासन की व्यापार नीति न केवल प्रमुख सहयोगी देशों को दूर कर रही है, बल्कि इससे अमेरिका की वैश्विक आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो रही है।

रायमोंडो ने कहा —

“इस प्रशासन की जिन 20 बातों पर मैं आलोचना कर सकती हूँ, उनमें सबसे ऊपर यह है कि हम अपने सभी सहयोगियों को नाराज़ कर रहे हैं। ‘अमेरिका फर्स्ट’ एक बात है, लेकिन ‘अमेरिका अकेला’ एक विनाशकारी नीति (disastrous policy) है। अगर अमेरिका यूरोप, जापान और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों का अच्छा मित्र या सहयोगी नहीं रह पाया, तो वह कमजोर अमेरिका होगा।”

उन्होंने यह बयान हार्वर्ड केनेडी स्कूल (Harvard Kennedy School) के Institute of Politics में एक चर्चा के दौरान दिया, जिसमें पूर्व अमेरिकी वित्त सचिव लॉरेंस समर्स (Lawrence Summers) भी मौजूद थे।

रायमोंडो ने कहा कि उन्हें खेद है कि अमेरिका ने यूरोप और भारत के साथ अपने व्यावसायिक संबंधों (commercial relationships) को मज़बूत नहीं किया। उन्होंने कहा —

“मुझे लगता है कि हम भारत के साथ बड़ी गलती कर रहे हैं।”

भारत-अमेरिका व्यापार तनाव बढ़ा

हाल के महीनों में भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव (trade tensions) बढ़ गए हैं, खासकर तब जब वॉशिंगटन ने भारतीय वस्तुओं पर 50% टैरिफ (आयात शुल्क) लगा दिया।

रायमोंडो ने कहा कि अमेरिका अपने सहयोगियों के प्रति “अहंकार (hubris)” दिखा रहा है और चेतावनी दी कि दुनिया अमेरिका का इंतज़ार नहीं करेगी।
उन्होंने कहा —

“अभी हम जो कर रहे हैं, वह है पूरी दुनिया को ‘Heisman’ दिखाना (यानि, खुद को श्रेष्ठ मानते हुए दूसरों को नज़रअंदाज़ करना)। अगर हम सोचते हैं कि दुनिया हमारे लौटने का इंतज़ार करेगी, तो हम गलत हैं। चीन इस मामले में बहुत आगे है — वह हर दिन यूरोप, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया में मौजूद रहता है। अमेरिका का यह सोचना कि केवल वही महत्वपूर्ण है, यह एक बहुत बड़ा भ्रम है।”

बाइडन और ट्रंप दोनों से असहमति

रायमोंडो, जो राष्ट्रपति जो बाइडन के अधीन वाणिज्य सचिव रहीं, ने बाइडन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप — दोनों की औद्योगिक और व्यापार नीतियों पर असहमति जताई।
उन्होंने कहा —

“मैं इस विचार से सहमत नहीं हूँ कि हमें हर चीज़ अमेरिका में ही बनानी चाहिए। हमारे पास पर्याप्त श्रम बल (labour) नहीं है, यह हमारा प्रतिस्पर्धात्मक लाभ नहीं है, और यह हर क्षेत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा नहीं है।”

उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति बाइडन “सभी चीजें अमेरिका में बनाने” की नीति पर अड़े थे, लेकिन उन्होंने उन्हें आगाह किया था कि ऐसा करने से सामान्य उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ जाएंगी।

“अगर हम हर चीज़ अमेरिका में बनाने की कोशिश करेंगे, जबकि हमारे पास न तो क्षमता है न श्रमिक, तो महंगाई (inflation) आसमान छू जाएगी,” उन्होंने कहा।

टैरिफ बने राजनीतिक हथियार

पूर्व सचिव ने यह भी पुष्टि की कि बाइडन और ट्रंप प्रशासन दोनों ने टैरिफ (आयात शुल्क) को राजनीतिक और आर्थिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया — भले ही इससे उपभोक्ताओं को नुकसान पहुँचा हो।

“राष्ट्रपति बाइडन ने कई टैरिफ इसलिए बनाए रखे ताकि वे अमेरिकी मज़दूरों के पक्ष में दिखें। एक बार अगर आप टैरिफ लगा देते हैं, तो उसे हटाना राजनीतिक रूप से मुश्किल होता है। कोई भी यह नहीं कहना चाहता कि ‘मैं अमेरिकी मज़दूरों के खिलाफ हूँ’ या ‘सस्ते आयात आने दो।’ यह एक कठिन राजनीतिक निर्णय है।”

चीन के साथ रणनीति पर सावधानी की जरूरत

चीन को लेकर रायमोंडो ने कहा कि अमेरिका को एक “संतुलित और विवेकपूर्ण रणनीति (nuanced strategy)” अपनानी चाहिए, जो तनाव बढ़ाने के बजाय दीर्घकालिक संबंधों पर केंद्रित हो।

“मुझे दिख रहा है कि यह प्रशासन चीन के साथ ऐसे कदम उठा रहा है जो केवल तनाव बढ़ाते हैं, बिना यह सोचे कि चीन अगला कदम क्या उठाएगा। हमारे चीन के साथ लगभग 700 अरब डॉलर का व्यापार है, जिसका 99% हिस्सा सामान्य वस्तुओं का है। हमें इस रिश्ते को समझदारी से संभालना होगा और दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाना होगा।”




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