भारत की उपहार अर्थव्यवस्था त्योहारी खरीदारी की एक मुख्य प्रेरक शक्ति बन गई है।

Ziddibharat@619
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भारत जब अपने त्योहारी मौसम के चरम पर प्रवेश कर रहा है, तो देश की “गिफ्टिंग इकॉनमी” (उपहार अर्थव्यवस्था) उपभोक्ता खर्च का एक प्रमुख प्रेरक बनकर उभर रही है। अब उपहार देना केवल एक परंपरा नहीं रहा, बल्कि यह लोगों के जश्न मनाने, खरीदारी करने और स्नेह जताने के तरीके को नया रूप दे रहा है। वेलनेस किट्स से लेकर ‘कांशस लक्ज़री’ ज्वेलरी तक, उपहार अब अधिक सोच-समझकर, निजी और अनुभव-आधारित तरीके से दिए जा रहे हैं, जो रिटेल, लाइफस्टाइल और लक्ज़री सेक्टर को समान रूप से बढ़ावा दे रहे हैं।


🌿 विचारशील और अनुभव-आधारित उपहारों की ओर बदलाव

Nat Habit की सह-संस्थापक और सीईओ स्वगतिका दास बताती हैं कि इस साल उपभोक्ता व्यवहार में बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है:

“पहले लगभग 70–80% त्योहारी उपहार केवल सुविधा के लिए चुने जाते थे, लेकिन अब लगभग 60% उपभोक्ता ऐसे वेलनेस-आधारित, सोच-समझकर चुने गए विकल्पों की ओर झुक रहे हैं जो अर्थपूर्ण लगते हैं। सस्टेनेबिलिटी और प्रीमियम अपील के साथ बने गिफ्टिंग किट्स और रिचुअल बॉक्स की मांग बढ़ गई है। अब लोग ‘सेल्फ-केयर’ को सिर्फ व्यक्तिगत जरूरत नहीं, बल्कि देखभाल और जुड़ाव का माध्यम मानने लगे हैं।”

अब सामान्य उपहारों की बजाय वेलनेस प्रोडक्ट्स, क्यूरेटेड किट्स और रिचुअलिस्टिक गिफ्टिंग को प्राथमिकता दी जा रही है — जिससे उपहार देना एक अनुभव और रिश्ते बनाने का तरीका बन गया है।


💎 लाइफस्टाइल और लक्ज़री ब्रांड्स की चमक

कई लाइफस्टाइल और लक्ज़री ब्रांड्स ने इस सीज़न में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है।
Frido के को-फाउंडर और सीईओ गणेश सोनवणे कहते हैं:

“हमने ट्रैफिक में 28% और कन्वर्ज़न में 18% की बढ़ोतरी देखी है। यदि यह रुझान जारी रहा, तो इस तिमाही का समापन पिछले साल की तुलना में लगभग 40% अधिक बिक्री के साथ होगा।”

Solitario के सीईओ रिक्की वसंदानी बताते हैं कि उपभोक्ताओं में अब ‘जिम्मेदार लक्ज़री’ की ओर झुकाव है।

“लोग अब ऐसी ज्वेलरी पसंद कर रहे हैं जो सुंदर होने के साथ-साथ सस्टेनेबल भी हो। लैब-ग्रोउन डायमंड्स अब ‘मॉडर्न वैल्यूज़’ और ‘पर्सनल एक्सप्रेशन’ के प्रतीक बन गए हैं। खासकर मिलेनियल्स ज्वेलरी को अब सिर्फ शादी या खास मौकों से नहीं, बल्कि अपने व्यक्तित्व और मूल्यों के प्रतीक के रूप में देख रहे हैं।”


💫 करवाचौथ से बढ़ी बिक्री और उत्साह

CAIT के महासचिव और सांसद प्रवीण खंडेलवाल के अनुसार,

इस साल करवाचौथ का कुल कारोबार करीब ₹28,000 करोड़ तक पहुंचा है, जिसमें अकेले दिल्ली का योगदान ₹8,000 करोड़ रहा — जो 2024 के ₹22,000 करोड़ और 2023 के ₹15,000 करोड़ से कहीं अधिक है।

साड़ियों, लहंगों, पूजा थालियों, मिठाइयों, ज्वेलरी और कॉस्मेटिक्स की बिक्री में उछाल आया है। साथ ही मेहंदी आर्टिस्ट्स, ब्यूटी पार्लर और स्थानीय कारीगरों को भी खूब रोजगार मिला है।

GST दरों में हालिया कटौती और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “स्वदेशी अपनाओ” अभियान ने भी उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ाया है, जिससे त्योहारी खरीदारी में तेजी आई है।


🎁 प्रीमियम, पर्सनलाइज़्ड और सचेत उपहारों की मांग

उपभोक्ता अब केवल उत्पाद नहीं, बल्कि गुणवत्ता, मौलिकता और निजी स्पर्श की तलाश में हैं।
PP Jewellers के निदेशक पियूष गुप्ता के अनुसार:

“इस बार बिक्री मात्रा लगभग 20% कम हो सकती है, लेकिन मूल्य में 15–20% की वृद्धि होगी क्योंकि ग्राहक अब अधिक शुद्धता और प्रमाणित डिज़ाइनों की मांग कर रहे हैं।”

Brune & Bareskin के संस्थापक टैबी भाटिया कहते हैं:

“उपभोक्ता अब ऐसे प्रोडक्ट चाहते हैं जो लक्ज़री के साथ उनकी व्यक्तिगतता को दर्शाएं। हैंडक्राफ्टेड और कस्टमाइज़ेबल गिफ्टिंग सर्विसेज की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि खरीदार अब ‘व्यक्तिगत और अनोखे’ उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं।”


📈 भारत की गिफ्टिंग इकॉनमी: एक उभरता हुआ क्षेत्र

विश्लेषकों का मानना है कि गिफ्टिंग अब एक निश मार्केट नहीं रहा, बल्कि यह भारत की त्योहारी खपत की रीढ़ बन रहा है।

मुख्य श्रेणियाँ जो इस वृद्धि को आगे बढ़ा रही हैं:

  • वेलनेस और सेल्फ-केयर किट्स

  • हस्तनिर्मित और पर्सनलाइज़्ड उपहार

  • कांशस लक्ज़री ज्वेलरी

  • अनुभव-आधारित और रिचुअल गिफ्ट बॉक्स

स्वगतिका दास के शब्दों में:

“गिफ्टिंग अब अधिक व्यक्तिगत, सचेत और अनुभव-केंद्रित हो गया है। जो ब्रांड कस्टमाइज़ेशन, सस्टेनेबिलिटी और कहानी कहने की पेशकश कर रहे हैं — वे इस नए दौर के सच्चे विजेता बन रहे हैं।”


भारत की गिफ्टिंग इकॉनमी अब तेजी से एक मुख्य आर्थिक क्षेत्र के रूप में उभर रही है — जो रिटेल, लाइफस्टाइल और लक्ज़री मार्केट को नई ऊर्जा दे रही है। उपभोक्ता अब सोच-समझकर, टिकाऊ और प्रीमियम गिफ्टिंग की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे त्योहारी खरीदारी अब सिर्फ खर्च नहीं बल्कि अनुभव, जुड़ाव और मूल्यों की अभिव्यक्ति बन गई है।

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