भारतीय उपभोक्ता तकनीक और संस्कृति के माध्यम से अपनी खाद्य आदतों को नए सिरे से परिभाषित कर रहे हैं: रिपोर्ट

Ziddibharat@619
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स्वास्थ्य, तकनीक और स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) वे तीन प्रमुख ताकतें बन गई हैं जो भारतीयों के भोजन खरीदने और उपभोग करने के तरीके को नया आकार दे रही हैं — PwC इंडिया की नवीनतम रिपोर्ट Voice of the Consumer 2025: India Perspective के अनुसार।

इस अध्ययन में विश्वभर के 21,000 से अधिक उपभोक्ताओं (जिनमें भारत के 1,031 लोग शामिल थे) से सर्वे किया गया। रिपोर्ट में पाया गया कि उपभोक्ताओं की प्राथमिकताएं अब सुरक्षित भोजन और लागत-जागरूकता से आगे बढ़कर वेलनेस टेक्नोलॉजी और पर्यावरण-अनुकूल आदतों की ओर शिफ्ट हो रही हैं।

स्वास्थ्य और सुरक्षा सबसे आगे

भारतीय उपभोक्ताओं के लिए अब भोजन की सुरक्षा कोई विकल्प नहीं बल्कि आवश्यकता है। सर्वे में पाया गया कि 84% उपभोक्ता सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक भोजन को अपने खरीद निर्णयों में सबसे महत्वपूर्ण कारक मानते हैं। मिलावट, कृत्रिम पदार्थों और प्रोसेस्ड फूड को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच उपभोक्ता अब पारदर्शिता चाहते हैं — जैसे साफ-सुथरे लेबल, प्रमाणित ब्रांड और पोषण संबंधी स्पष्ट जानकारी।

स्वास्थ्य लाभ ब्रांड बदलने की प्रमुख वजह बन रहे हैं। लगभग 29% उपभोक्ता बेहतर स्वास्थ्य लाभ के लिए ब्रांड बदलने को तैयार हैं, जबकि 21% ने इसे ब्रांड लॉयल्टी बदलने का सबसे बड़ा कारण बताया। यह संकेत है कि अब उपभोग ‘पोषण-प्रथम’ (nutrition-first) दृष्टिकोण की ओर बढ़ रहा है।

तकनीक-आधारित वेलनेस जीवन का हिस्सा

लगभग 80% उपभोक्ता अब किसी न किसी healthcare app या wearable device का उपयोग करते हैं ताकि वे अपने आहार, व्यायाम या वेलनेस पर नज़र रख सकें। यह बदलाव दर्शाता है कि भारतीय उपभोक्ता अब AI-आधारित डाइट और पर्सनलाइज्ड हेल्थ सॉल्यूशंस को अपनाने में सहज हो रहे हैं। जो कभी विशेष वर्ग तक सीमित था, वह अब मुख्यधारा का हिस्सा बन चुका है।

किफ़ायत और सुविधा का संतुलन

63% उपभोक्ता बढ़ती खाद्य कीमतों को लेकर चिंतित हैं। लोग अब रणनीतिक खरीदारी कर रहे हैं — जैसे थोक में खरीदना, अलग-अलग चैनलों का मिश्रण करना और छूटों का लाभ उठाना। साथ ही, सुविधा भी अहम बनी हुई है।

  • सुपरमार्केट पर 70% लोग निर्भर हैं,

  • स्थानीय किराना स्टोर पर 60%,

  • और 55% उपभोक्ता डिजिटल डिलीवरी प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करते हैं।

इससे स्पष्ट है कि भारत में अब हाइब्रिड शॉपिंग मॉडल विकसित हो चुका है, जहां सुविधा और किफ़ायत दोनों साथ चलते हैं।

परंपरा अब भी मार्गदर्शक

तकनीक और वैश्विक ट्रेंड्स के बावजूद, 74% उपभोक्ता मानते हैं कि उनके खाद्य आदतें सांस्कृतिक परंपराओं पर आधारित हैं। भारतीय उपभोक्ता अब परंपरागत आहार और रेसिपी को आधुनिक स्वास्थ्य व सुविधाओं के साथ जोड़ रहे हैं।

स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) अब उपभोक्ता की माँग

लगभग आधे उपभोक्ता भोजन खरीदते समय eco-friendly पैकेजिंग को प्राथमिकता देते हैं, और 73% उपभोक्ता ऐसी उत्पादों के लिए अधिक भुगतान करने को तैयार हैं जो मिट्टी और भूमि के स्वास्थ्य में सुधार करते हैं। इसका मतलब है कि अब ब्रांड्स के लिए स्थिरता कोई वैकल्पिक तत्व नहीं, बल्कि उपभोक्ता विश्वास और ब्रांड वैल्यू का केंद्र बन चुकी है।

ब्रांड्स के लिए संदेश

PwC की रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य उद्योग को दोहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है — सप्लाई चेन में अवरोध और बदलती उपभोक्ता मांगें। लेकिन यही बदलाव ब्रांड्स के लिए नए अवसर भी पैदा कर रहे हैं।

PwC इंडिया के Retail and Consumer Sector Leader रवि कपूर ने कहा,

“उपभोक्ता अब पोषण, किफ़ायत और स्थिरता को प्राथमिकता दे रहे हैं — स्थानीय उत्पाद, डिजिटल ग्रॉसरी प्लेटफ़ॉर्म और वेलनेस तकनीकों को अपना रहे हैं। स्वास्थ्य, तकनीक और सस्टेनेबिलिटी के साथ अब ब्रांड्स के पास अनुकूलन और विकास का सही समय है।”

सर्वे का साफ संदेश है —
भारतीय उपभोक्ता अब केवल खरीदार नहीं रहे; वे सजग, स्वास्थ्य-सचेत और पर्यावरण-जागरूक निर्णय लेने वाले बन चुके हैं। जो ब्रांड इन अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे, वही आने वाले वर्षों में उपभोक्ता निष्ठा (loyalty) और सफलता हासिल करेंगे।

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