खाद्य कंपनियाँ हाई-प्रोटीन के बढ़ते क्रेज को पूरा करने के लिए जुटीं

Ziddibharat@619
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Christine Ro A supermarket shelf with high-protein products, including drinks and yoghurts.Christine Ro

कुछ महीने पहले एंडी ने एक फिटनेस ऐप का इस्तेमाल शुरू किया। ऐप ने उन्हें सलाह दी कि वे अपने आहार में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएँ

सबसे मुश्किल बात यह थी कि प्रोटीन बढ़ाने के साथ कैलोरी न बढ़े

एंडी बताती हैं —

“मैंने उन चीज़ों के हाई-प्रोटीन विकल्प ढूँढना शुरू किया जिन्हें मैं पहले से खा-पी रही थी।”

उनकी खोज में दही, दूध, कॉफी, सीरियल और पास्ता शामिल थे।
वह कहती हैं, “स्वाद लगभग पहले जैसा ही था, इसलिए अब मैं जानबूझकर ऐसे प्रोडक्ट्स तलाशती हूँ।”

इस साल जब एक कनाडाई रेस्तरां चेन ने हाई-प्रोटीन लाटे लॉन्च किया, तो एंडी बहुत खुश हुईं। वह इसे बिना चीनी के पीती हैं और कहती हैं कि इसका स्वाद “काफी अच्छा” है।


💰 क्या यह डाइट महँगी है?

वैंकूवर में रहने वाली एंडी कहती हैं —

“यहाँ दाम पहले ही ऊँचे हैं। हाई-प्रोटीन प्रोडक्ट आम तौर पर कुछ डॉलर ज्यादा महँगे होते हैं, पर बहुत ज़्यादा फर्क नहीं पड़ता।”


📈 बढ़ती मांग: हर प्रोडक्ट में अब ‘प्रोटीन’ टैग

अब सुपरमार्केट की शेल्फ़ों और रेस्तरां मेनू में ‘हाई-प्रोटीन’ ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है।
सर्वे बताते हैं कि ग्राहक अब अपने खाने में प्रोटीन की मात्रा पर ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं।

निल्सनIQ की रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2024 से मार्च 2025 के बीच
‘प्रोटीन-रिच’ लेबल वाले उत्पादों की बिक्री में 4.8% की वृद्धि हुई है।


🥛 दूध की वापसी और ‘बैक-टू-काउ’ मूवमेंट

अमेरिकी कृषि विभाग के अनुसार, 2009 के बाद पहली बार दूध की खपत बढ़ी है,
जिसका एक कारण यही प्रोटीन क्रेज है।

बैक-टू-काउ मूवमेंट” में अब ऐसे प्रोडक्ट्स भी शामिल हैं जिनमें बोवाइन कोलोस्ट्रम (वह प्रोटीन-युक्त दूध जो गाय जन्म के तुरंत बाद देती है) का इस्तेमाल किया जाता है।


💪 व्‍हे प्रोटीन की बढ़ती दुनिया

यह ट्रेंड व्‍हे प्रोटीन (जो चीज़ बनाने की प्रक्रिया का एक बाय-प्रोडक्ट है) की उपलब्धता से भी तेज़ी पकड़ रहा है।
आज यह एक अरब डॉलर का उद्योग बन चुका है और लगातार बढ़ रहा है।

Getty Images A woman reaches into a supermarket fridge to select a carton of milk. Getty Images

Milk sales have bounced back in the US after years of decline

जहाँ डेयरी उत्पादों (गाय-बैस दूध) की बिक्री लगातार बढ़ रही है, वहीं प्लांट-बेस्ड दूध (जैसे बादाम और ओट मिल्क) की लोकप्रियता अब घटने लगी है।

📉 बिक्री में गिरावट:
दूध के विकल्पों की बिक्री का वॉल्यूम घट रहा है, खासकर अमेरिका में।
बादाम दूध सबसे ज़्यादा बाज़ार हिस्सा खो रहा है।

📊 ऑनलाइन सर्च में बदलाव:
2020 में अमेरिका में “oat milk” की गूगल सर्च “whole milk” से ज़्यादा थी,
लेकिन 2025 में यह ट्रेंड पलट गया — अब लोग गाय के दूध की अलग-अलग किस्में ज्यादा खोज रहे हैं।

इस बदलाव की एक वजह है लोगों में “प्राकृतिक” खाद्य पदार्थों की बढ़ती पसंद — जैसे गाय का दूध, कोलेजन और बीफ़ फैट (tallow)

💰 मार्केट वैल्यू:
NielsenIQ के अनुसार —

  • गाय के दूध का वैश्विक बाजार मूल्य लगभग $69.3 बिलियन (₹5.7 लाख करोड़) है,

  • जबकि दूध के विकल्पों का बाजार सिर्फ $8.4 बिलियन (₹69,000 करोड़) है।

यानि, डेयरी का बाजार आकार 8 गुना बड़ा है — और इसकी वृद्धि दर भी ज़्यादा तेज़ है।

🏭 कंपनियों की रणनीति:
अब प्लांट-बेस्ड ब्रांड्स अपनी पैकेजिंग पर “हाई प्रोटीन” को ज़्यादा हाइलाइट कर रहे हैं
और अपने उत्पादों को फिर से तैयार कर रहे हैं ताकि उनमें प्रोटीन की मात्रा बढ़ाई जा सके।

Serena Bolton Smiling into the camera and wearing a green top, Federica Amati stands next to a book shelf.Serena Bolton

Federica Amati says the popularity of high-protein foods is down to marketing

‘हाई प्रोटीन’ का जुनून भटकाने वाला है, पोषण विशेषज्ञों की चेतावनी

जहाँ दुनियाभर में “हाई प्रोटीन” डाइट का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है, वहीं पोषण विशेषज्ञ इस पर चिंता जता रहे हैं। उनका कहना है कि विकसित देशों में ज़्यादातर लोग पहले से ही जरूरत से ज़्यादा प्रोटीन ले रहे हैं।

🎯 किन्हें वाकई ज़रूरत है:
केवल कुछ समूह — जैसे कुपोषित लोग, बुज़ुर्ग, रजोनिवृत्ति (menopause) से गुजर रहीं महिलाएँ, और लंबे समय से सूजन या क्रॉनिक बीमारियों से पीड़ित लोग — को अतिरिक्त प्रोटीन की ज़रूरत हो सकती है।

🧠 विशेषज्ञ की राय:
डॉ. फेडेरिका अमाती, जो लंदन के इम्पीरियल कॉलेज की पब्लिक हेल्थ स्कूल में रिसर्च फेलो हैं, कहती हैं —

“लोग यह सोचकर धोखा खा रहे हैं कि ‘हाई प्रोटीन’ लिखा मतलब यह सेहतमंद है। यह सिर्फ़ एक हेल्थ हैलो है।”

वह चेतावनी देती हैं कि मिडल-एज में ज़रूरत से ज़्यादा प्रोटीन लेना कई बीमारियों, यहाँ तक कि कैंसर के जोखिम को भी बढ़ा सकता है।
हालाँकि, प्लांट-बेस्ड प्रोटीन के साथ ऐसा जोखिम नहीं देखा गया है।

💰 कीमत और मार्केटिंग का खेल:
डॉ. अमाती कहती हैं,

“ताज़े, प्राकृतिक खाद्य पदार्थों की कीमत पहले से ही बढ़ रही है। लोगों को बेहतर होगा कि वे वही लें — जैसे सामान्य ग्रीक योगर्ट — बजाय महंगे ‘हाई प्रोटीन’ लेबल वाले उत्पादों के।”

उनका कहना है कि कंपनियाँ सस्ते में प्रोटीन पाउडर मिलाकर दाम बढ़ा देती हैं, और इसे “सेहतमंद विकल्प” के रूप में प्रचारित करती हैं।

🥦 असली हीरो क्या है?
कई न्यूट्रिशनिस्ट मानते हैं कि असली “हीरो न्यूट्रिएंट” फाइबर (रेशा) होना चाहिए, क्योंकि यह लंबे समय तक सेहत के लिए ज़्यादा फायदेमंद है, न कि सिर्फ़ प्रोटीन।

Verley Stéphane Mac Millan wearing a white lab coat and smiling into the camera.Verley

Stéphane Mac Millan wants the dairy industry to “move into the 21st century”

दुनियाभर में ‘हाई प्रोटीन’ ट्रेंड के बढ़ने के साथ ही अब कंपनियाँ भी नई-नई तकनीकों के ज़रिए उस मांग को पूरा करने में जुटी हैं।

🇫🇷 फ्रांस का स्टार्टअप ‘वर्ली’ (Verley)

फ्रांस के एक स्टार्टअप वर्ली (Verley) में स्टेनलेस स्टील की चमकदार टंकियों (fermentors) में माइक्रोऑर्गैनिज़्म्स को शुगर पर पाला जा रहा है।
इन सूक्ष्म जीवों से तैयार होगा बीटा-लैक्टोग्लोब्युलिन (Beta-lactoglobulin) — जो व्हे (whey) में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण प्रोटीन है।

टीम इस प्रोटीन को शुद्ध कर लैक्टोज़ (lactose) को अलग करेगी।
आखिरी उत्पाद एक ऐसा हाई प्रोटीन पाउडर होगा जो मूल रूप से डेयरी जैसा है — लेकिन इसमें किसी गाय का उपयोग नहीं किया गया, इसलिए यह वीगन लोगों के लिए भी उपयुक्त होगा।


⚙️ परंपरा और टेक्नोलॉजी का संगम

कंपनी के CEO स्टीफ़न मैक मिलन (Stéphane Mac Millan) का कहना है कि यह प्रक्रिया पारंपरिक और आधुनिक दोनों है।

“हमारा लक्ष्य डेयरी इंडस्ट्री को 21वीं सदी में ले जाना है,” — मैक मिलन

वे कहते हैं कि फ्रेंच फ़ूड कल्चर में किण्वन (fermentation) का लंबा इतिहास रहा है — जैसे चीज़ बनाने में — लेकिन अब इसे सस्टेनेबल (पर्यावरण के अनुकूल) रूप में विकसित किया जा रहा है।

डेयरी उत्पादन में बहुत पानी, ज़मीन और ग्रीनहाउस गैसें लगती हैं। Verley इस प्रभाव को कम करते हुए पोषण मूल्य को बनाए रखना चाहता है।


💪 बदलती उपभोक्ता मांग

मैक मिलन का मानना है कि अब उपभोक्ता सिर्फ़ “व्हे प्रोटीन” नहीं बल्कि बीटा-लैक्टोग्लोब्युलिन जैसे विशिष्ट प्रोटीन की तलाश कर रहे हैं, जिसमें ल्यूसीन (leucine) अमीनो एसिड की मात्रा ज़्यादा होती है।
वे यह भी कहते हैं कि वज़न घटाने के इंजेक्शन लेने वाले लोगों में मसल लॉस की चिंता बढ़ रही है, जिससे हाई प्रोटीन प्रोडक्ट्स की माँग और बढ़ सकती है।

हालाँकि वे मानते हैं कि Verley का प्रोटीन फिलहाल पारंपरिक व्हे प्रोटीन से महंगा होगा।

“हम ज़्यादा वैल्यू और सस्टेनेबिलिटी दे रहे हैं, तो थोड़ा प्रीमियम सामान्य है।”

कंपनी अभी कई देशों में रेगुलेटरी अप्रूवल पाने की प्रक्रिया में है और बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू होने के बाद लागत कम करने की उम्मीद है।


📱 सोशल मीडिया का असर

UCLA के जैक बोबो, जो Rothman Family Institute for Food Studies के कार्यकारी निदेशक हैं, कहते हैं —

“लोग पोषण विशेषज्ञों से ज़्यादा अपने दोस्तों, परिवार या इन्फ्लुएंसर्स की बात मानते हैं।”

सोशल मीडिया पर “फ़िटनेस कंटेंट” खासकर युवाओं — विशेषकर पुरुषों — को टारगेट करता है, जिससे वे ऐसे भोजन और पेय खरीदने लगते हैं जैसे वे प्रोफेशनल एथलीट हों।

लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि उपभोक्ता जल्दी अपना रुझान बदल देते हैं।
उदाहरण के लिए, सोया मिल्क सस्ता और प्रोटीन-समृद्ध है, फिर भी लोगों ने इसे छोड़कर ओट मिल्क या अन्य विकल्पों की ओर रुख किया।


📈 नतीजा: प्रोटीन है ‘स्मार्ट बिज़नेस’

भले ही “हाई प्रोटीन” कितना फ़ायदेमंद है, यह बहस का विषय हो — पर एक बात तय है:
अभी के लिए प्रोटीन पर ध्यान देना कंपनियों के लिए स्मार्ट बिज़नेस साबित हो रहा है।

 

 

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